Varicose Veins (वैरिकोज़ वेन्स)
वैरिकोज़ वेन्स क्या हैं?
वैरिकोज़ वेन्स ऐसी नसें होती हैं जो सूजकर, मुड़कर और उभरकर दिखाई देने लगती हैं। ये प्रायः पैरों और पैरों के तलवों में होती हैं। इसका मुख्य कारण नसों के वाल्व का ठीक से काम न करना है, जिससे रक्त नसों में इकट्ठा हो जाता है और नसें फैल जाती हैं।
वैरिकोज़ वेन्स के प्रकार
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ट्रंक वैरिकोज़ वेन्स
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बड़ी, मोटी और रस्सी जैसी नसें।
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प्रायः सैफेनस वेन (Saphenous Vein) में वाल्व की कमजोरी से होती हैं।
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रेटिकुलर वैरिकोज़ वेन्स
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मध्यम आकार की नीली या लाल नसें।
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घुटनों के पीछे, जांघों या टखनों के पास पाई जाती हैं।
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स्पाइडर वेन्स (टेलैन्जेक्टेसियाज़)
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बहुत पतली, जाले जैसी लाल या नीली नसें।
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चेहरे और पैरों पर अधिक दिखाई देती हैं।
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यह हानिकारक नहीं होतीं, पर देखने में खराब लगती हैं।
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परफोरेटर वैरिकोज़ वेन्स
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तब होती हैं जब गहरी और सतही नसों को जोड़ने वाली नसें (Perforator veins) खराब हो जाती हैं।
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इससे सूजन और त्वचा की समस्या हो सकती है।
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वैरिकोज़ वेन्स के कारण
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नसों के वाल्व का कमजोर या खराब होना
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आनुवंशिकता (परिवार में पहले से होना)
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लंबे समय तक खड़े रहने या बैठने की आदत
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उम्र बढ़ने पर नसों की लोच कम हो जाना
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लिंग – महिलाओं में अधिक (गर्भावस्था, मासिक धर्म, रजोनिवृत्ति के कारण हार्मोनल बदलाव)
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गर्भावस्था – खून की मात्रा और नसों पर दबाव बढ़ना
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मोटापा – नसों पर अतिरिक्त दबाव
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नसों की चोट या आघात
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शारीरिक गतिविधि की कमी
वैरिकोज़ वेन्स के लक्षण
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दिखाई देने वाले लक्षण:
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नीली या गहरे बैंगनी रंग की उभरी हुई नसें।
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जाले जैसी लाल/नीली नसें।
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शारीरिक लक्षण:
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पैरों में भारीपन या दर्द।
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जलन, धड़कन या ऐंठन।
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टखनों और पैरों में सूजन।
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नसों के आसपास खुजली।
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रात में बेचैनी (Restless legs)।
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लंबे समय तक खड़े/बैठे रहने पर दर्द बढ़ना।
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जटिलताएँ (यदि इलाज न हो):
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टखनों के पास त्वचा का काला पड़ना।
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न भरने वाले घाव (Venous ulcers)।
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खून के थक्के (Blood clots – थ्रॉम्बोसिस)।
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नसों से खून निकलना।
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वैरिकोज़ वेन्स से बचाव
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नियमित व्यायाम (चलना, तैरना, साइकिल चलाना)।
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लंबे समय तक खड़े या बैठे न रहें।
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आराम करते समय पैरों को ऊपर उठाएँ।
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वज़न नियंत्रित रखें।
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बहुत तंग कपड़े न पहनें।
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कम्प्रेशन स्टॉकिंग्स पहनें।
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पर्याप्त पानी पिएँ और फाइबर युक्त आहार लें ताकि कब्ज़ न हो।
वैरिकोज़ वेन्स का इलाज
1. साधारण उपाय (Conservative Treatment)
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कम्प्रेशन स्टॉकिंग्स।
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पैरों को ऊँचाई पर रखना।
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वज़न कम करना।
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नियमित व्यायाम।
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लंबे समय तक खड़े/बैठे रहने से बचना।
2. चिकित्सकीय/शल्य चिकित्सा उपचार
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स्क्लेरोथेरेपी – नस में दवा डालकर उसे बंद कर देना।
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लेज़र थेरेपी (EVLT) – लेज़र से नसों को बंद करना।
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रेडियोफ्रीक्वेंसी एब्लेशन (RFA) – गर्मी से नस को बंद करना।
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फ्लेबेक्टॉमी – त्वचा पर छोटे छेद बनाकर नस निकालना।
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सर्जिकल स्ट्रिपिंग और लिगेशन – बड़ी नसों को हटाना (अब कम किया जाता है)।
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फोम स्क्लेरोथेरेपी – झाग के रूप में दवा डालकर नस बंद करना।
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ग्लू ट्रीटमेंट – चिपकने वाले पदार्थ से नस बंद करना (नई तकनीक)।
क्या वैरिकोज़ वेन्स पूरी तरह ठीक हो सकती हैं?
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यदि आनुवंशिक या पुरानी समस्या हो तो पूरी तरह रोकना मुश्किल है।
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लेकिन आधुनिक उपचार (स्क्लेरोथेरेपी, EVLT, RFA आदि) से इन्हें काफी हद तक ठीक किया जा सकता है।
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जीवनशैली में सुधार और समय पर इलाज से पुनः होने की संभावना कम हो जाती है।
✅ सारांश:
वैरिकोज़ वेन्स नसों की कमजोरी और खराब रक्त संचार के कारण होती हैं। यह पैरों में दर्द, सूजन और त्वचा की समस्या का कारण बन सकती हैं। समय पर इलाज और सही जीवनशैली से इसे नियंत्रित और काफी हद तक ठीक किया जा सकता है।