डेंगू, मलेरिया, टायफॉइड, और पित्ताशय की पथरी में की जाने वाली प्रमुख जांच

डेंगू, मलेरिया, टायफॉइड, और पित्ताशय की पथरी में की जाने वाली प्रमुख जांच (Tests)

🧪 सभी बीमारियों में की जाने वाली प्रमुख जांचें

बीमारी जांच का नाम क्यों कराई जाती है
डेंगू (Dengue) 1. NS1 Antigen Test शुरूआती 1–5 दिन में वायरस की उपस्थिति का पता चलता है।
2. IgM/IgG Antibody Test शरीर की रोग प्रतिरोधक प्रतिक्रिया से डेंगू की पुष्टि होती है।
3. CBC (Complete Blood Count) प्लेटलेट्स की संख्या और WBC का स्तर जांचने के लिए।
4. LFT (Liver Function Test) डेंगू में लिवर पर असर पड़ सकता है, उसका पता करने के लिए।

| मलेरिया (Malaria) |

  1. Peripheral Blood Smear (PBS) | खून की स्लाइड में मलेरिया परजीवी को सीधे देखने के लिए। |
    | | 2. Rapid Diagnostic Test (RDT) | तेज़ी से मलेरिया परजीवी की पुष्टि के लिए (15–20 मिनट में)। |
    | | 3. CBC | खून की स्थिति, हीमोग्लोबिन और प्लेटलेट्स की जानकारी के लिए। |
    | | 4. LFT/KFT (यदि लक्षण गंभीर हों) | मलेरिया के जिगर और किडनी पर असर को जानने के लिए। |

| टायफॉइड (Typhoid) |

  1. Widal Test | टायफॉइड बैक्टीरिया के प्रति शरीर की एंटीबॉडी को मापने के लिए। |
    | | 2. Typhi Dot IgM/IgG | टायफॉइड के जल्दी पता लगाने हेतु आधुनिक जांच। |
    | | 3. Blood Culture Test | बैक्टीरिया की पुष्टि और दवा की संवेदनशीलता जानने के लिए। |
    | | 4. CBC | शरीर में संक्रमण और खून की स्थिति देखने के लिए। |

| पित्ताशय की पथरी (Gallstones) |

  1. Ultrasound Abdomen | पथरी की पुष्टि और आकार/स्थान देखने के लिए सबसे मुख्य जांच। |
    | | 2. LFT (Liver Function Test) | पित्त रस और लीवर पर असर का मूल्यांकन करने के लिए। |
    | | 3. CBC | अगर इंफेक्शन हो गया है तो उसका पता लगाने के लिए। |
    | | 4. HIDA Scan (कभी-कभी) | पित्ताशय की कार्यक्षमता देखने के लिए (विशेष मामलों में)। |

📌 विशेष जानकारी:

  • CBC (Complete Blood Count): यह लगभग सभी बुखार/संक्रमण वाली बीमारियों में किया जाता है, क्योंकि यह सफेद रक्त कोशिकाओं (WBC), प्लेटलेट्स और हीमोग्लोबिन जैसी मूल जानकारी देता है।
  • Ultrasound: पित्ताशय में पथरी की पुष्टि के लिए सर्वोत्तम और सस्ती जांच है।
  • Blood Culture: टायफॉइड जैसी बैक्टीरियल बीमारी में सबसे विश्वसनीय जांच मानी जाती है, जिससे बैक्टीरिया और एंटीबायोटिक की संवेदनशीलता पता चलती है।

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