Lasunadi Vati (लसुनादि बटी): फायदे, उपयोग, खुराक, नुकसान और सेवन विधि

लसुनादि बटी (Lasunadi Vati) – सम्पूर्ण जानकारी हिंदी में


🔹 लसुनादि बटी क्या है?

लसुनादि बटी आयुर्वेद की एक प्रमुख आयुर्वेदिक औषधि है, जो मुख्य रूप से अग्निमांद्य (भूख की कमी), अजीर्ण, उदरशूल, वातविकार और पाचन संबंधी रोगों में दी जाती है। इसमें लहसुन (Garlic) मुख्य घटक है, जो वात-कफ दोष को संतुलित कर पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है। यह औषधि हिंगु, त्रिकटु और अन्य जड़ी-बूटियों के साथ बनाई जाती है।


🔹 लसुनादि बटी का आयुर्वेद में उल्लेख

लसुनादि बटी का उल्लेख आयुर्वेद के विभिन्न चरक संहिता, भावप्रकाश निघण्टु और भैषज्य रत्नावली जैसे ग्रंथों में मिलता है। इसमें लहसुन को वात-कफ हर, दीपनीय (भोजन पचाने वाली), कृमिनाशक (कीड़े नाश करने वाली), और शूलहर (दर्द निवारक) बताया गया है।


🔹 लसुनादि बटी के मुख्य घटक (Ingredients)

  1. लहसुन (Allium sativum) – अग्निदीपन, वात-कफ नाशक

  2. सौंठ (Shunthi) – अजीर्ण नाशक, पाचक

  3. काली मिर्च (Maricha) – भूख बढ़ाने वाली, श्वास कास हर

  4. पिप्पली (Pippali) – पाचक, श्वास रोगों में उपयोगी

  5. हींग (Hingu) – गैस व पेट दर्द में लाभकारी

  6. सैंधा नमक (Saindhava Lavana) – पाचन सुधारे, स्वाद बढ़ाए


🔹 लसुनादि बटी के उपयोग (Benefits / Uses)

👉 पाचन शक्ति में वृद्धि – भोजन को जल्दी और सही से पचाती है।

👉 अजीर्ण (Indigestion) व अग्निमांद्य – भोजन के बाद भारीपन, भूख की कमी में लाभकारी।

👉 उदरशूल (पेट दर्द) – गैस, अफारा और पेट दर्द में राहत।

👉 गैस व कब्ज – पेट की गैस, अफारा, कब्ज में उपयोगी।

👉 कृमिरोग – आंतों के कीड़ों को नष्ट करती है।

👉 श्वास-कास (Asthma, Cough) – कफ जमने पर लाभ देती है।

👉 वातरोग – वात से उत्पन्न पेट और जोड़ों के दर्द में सहायक।


🔹 लसुनादि बटी की मात्रा (Dosage)

  • सामान्य वयस्क मात्रा – 1 से 2 गोली

  • दिन में 2 से 3 बार

  • सेवन विधि

    • गुनगुने पानी के साथ

    • या छाछ/अदरक के रस के साथ

    • या डॉक्टर की सलाह अनुसार


🔹 सेवन विधि (How to Take)

  • भोजन से पहले या बाद में लिया जा सकता है (रोग अनुसार)।

  • यदि पेट में अधिक गैस और दर्द हो तो इसे गर्म पानी या हींग-अजवाइन के साथ लिया जाता है।

  • डॉक्टर की सलाह अनुसार 1–3 सप्ताह तक उपयोग करना उचित है।


🔹 लसुनादि बटी के नुकसान (Side Effects / Precautions)

👉 अधिक मात्रा में सेवन से अत्यधिक पसीना, जलन, दस्त हो सकते हैं।

👉 अम्लपित्त (Acidity) व पित्तज रोगियों को सावधानी से लेना चाहिए।

👉 गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को बिना परामर्श सेवन नहीं करना चाहिए।

👉 अत्यधिक मात्रा में लेने से रक्तचाप कम हो सकता है क्योंकि लहसुन रक्तचाप घटाने का कार्य करता है।


✅ निष्कर्ष

लसुनादि बटी एक प्रसिद्ध आयुर्वेदिक औषधि है जो पाचन शक्ति बढ़ाने, गैस, कब्ज, अजीर्ण, शूल और श्वास कास में अत्यंत लाभकारी है। लेकिन इसका सेवन सदैव आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह अनुसार ही करना चाहिए, क्योंकि गलत मात्रा या बिना परामर्श उपयोग करने पर यह नुकसान भी पहुँचा सकती है।


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