Kutjaghan Vati (कुटजघन बटी): दस्त, अतिसार और पेट रोगों के लिए फायदे व उपयोग

कुटजघन बटी (Kutjaghan Vati) – आयुर्वेदिक जानकारी

कुटजघन बटी एक प्रसिद्ध आयुर्वेदिक औषधि है, जिसका मुख्य उपयोग आंतों से जुड़ी बीमारियों जैसे अतिसार (Diarrhea), पेचिश (Dysentery), आमातिसार, रक्तातिसार और पाचन विकारों में किया जाता है। यह औषधि विशेष रूप से कुटज (Holarrhena antidysenterica) के अर्क से बनाई जाती है और इसकी विशेषता है कि यह आंतों को मजबूत करती है, पाचन सुधारती है और संक्रमण को रोकती है।


कुटजघन बटी क्या है?

कुटजघन बटी आयुर्वेद में वर्णित एक हर्बल औषधि है जो मुख्य रूप से कुटज छाल (Indrajav) से तैयार की जाती है। इसे घनसार (एक्सट्रैक्ट) से बनाया जाता है, इसलिए इसे “कुटजघन” कहा जाता है। यह औषधि आंतों के संक्रमण, दस्त, पेचिश और आमाशय की गड़बड़ी को दूर करने में अत्यंत लाभकारी है।


आयुर्वेद में उल्लेख

  • आयुर्वेदिक ग्रंथों में कुटज को “अतिसारनाशक” और “ग्राही” औषधि कहा गया है।

  • इसका प्रयोग अग्नि दीपक (पाचनशक्ति बढ़ाने वाला), आमपाचक, और रक्तस्राव रोकने वाला के रूप में भी होता है।

  • चरक संहिता और भैषज्य रत्नावली में इसका उपयोग अतिसार व रक्तातिसार के लिए प्रमुख रूप से बताया गया है।


कुटजघन बटी के उपयोग (Benefits / Uses)

  1. अतिसार (Diarrhea): दस्त को रोकने और आंतों को मजबूत करने में सहायक।

  2. पेचिश (Dysentery): म्यूकस व खून के साथ आने वाले दस्त में उपयोगी।

  3. रक्तातिसार (Bloody diarrhea): खून आने वाले दस्त में राहत देता है।

  4. आमातिसार: जब अपच और आम दोष के कारण दस्त होते हैं।

  5. जठराग्नि सुधार: पाचन क्रिया को मजबूत करता है।

  6. आंतों का संक्रमण: बैक्टीरिया व परजीवी से होने वाले दस्त में लाभकारी।

  7. IBS (Irritable Bowel Syndrome): आंतों की कमजोरी व बार-बार ढीले दस्त में सहायक।


घटक (Ingredients of Kutjaghan Vati)

मुख्य घटक – कुटज की छाल (Holarrhena antidysenterica / Indrajav) का घनसार (Extract)।

👉 कुछ आयुर्वेदिक कंपनियां इसमें अतिरिक्त जड़ी-बूटियां भी मिलाती हैं जैसे – अतीश, बेल, मूस्ता, लोध्र, लेकिन शुद्ध कुटजघन बटी में केवल कुटज का घनसार होता है।


खुराक (Dose)

  • बड़ों के लिए: 1–2 गोली दिन में 2–3 बार, गुनगुने पानी के साथ।

  • बच्चों के लिए: ½ गोली से 1 गोली, उम्र और पाचनशक्ति के अनुसार।

  • सेवन का समय: भोजन के बाद या चिकित्सक की सलाह अनुसार।


सेवन विधि (How to Take)

  • साधारण दस्त में गुनगुने पानी के साथ।

  • रक्तातिसार या पेचिश में अनार के रस या बेल के शरबत के साथ।

  • आमातिसार में जीरे के काढ़े या छाछ के साथ सेवन करना लाभकारी।


नुकसान / सावधानियां (Side Effects & Precautions)

  • सामान्य मात्रा में लेने पर कोई दुष्प्रभाव नहीं।

  • अधिक मात्रा में लेने पर कब्ज हो सकता है।

  • गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाएं चिकित्सक की सलाह के बिना सेवन न करें।

  • लंबे समय तक बिना डॉक्टरी सलाह के सेवन न करें।

  • यदि दस्त 3–4 दिन से ज्यादा समय तक बने रहें या खून/अत्यधिक कमजोरी हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।


निष्कर्ष

कुटजघन बटी एक सुरक्षित और प्रभावी आयुर्वेदिक औषधि है, जो दस्त, पेचिश और आंतों की कमजोरी में बहुत लाभकारी है। यह आंतों को मजबूत बनाती है, पाचन क्रिया को दुरुस्त करती है और संक्रमण को दूर करती है।

👉 लेकिन इसका सेवन हमेशा उचित मात्रा में और विशेषज्ञ आयुर्वेद चिकित्सक की देखरेख में करना चाहिए।


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