Kanthsudharak Vati (कंठसुधारक बटी): गले के रोगों के लिए फायदे, खुराक और नुकसान

कंठसुधारक बटी (Kanthsudharak Vati) : संपूर्ण जानकारी हिंदी में

कंठसुधारक बटी (Kanthsudharak Vati) एक आयुर्वेदिक औषधि है जो मुख्य रूप से गले की समस्याओं, स्वर यंत्र (voice box) और श्वसन तंत्र की शुद्धि एवं मजबूती के लिए प्रयोग की जाती है। यह विशेष रूप से गायकों, वक्ताओं, अध्यापकों और उन लोगों के लिए लाभकारी मानी जाती है जिन्हें अपने स्वर और गले का अधिक उपयोग करना पड़ता है।


कंठसुधारक बटी क्या है?

कंठसुधारक बटी आयुर्वेद में वर्णित एक प्रसिद्ध औषधि है, जिसे गले को स्वस्थ और स्पष्ट बनाए रखने के लिए जाना जाता है। यह गले की खराश, सूजन, खिचखिच, स्वर बैठना (Hoarseness of voice), खांसी, सर्दी और गले में होने वाली अन्य समस्याओं को दूर करने में सहायक होती है।


कंठसुधारक बटी के उपयोग (Upyog)

  • गले की खराश और दर्द दूर करने में

  • खांसी और बलगम की समस्या में

  • गले की सूजन और जलन में

  • स्वर बैठने, भारीपन या टूटने पर

  • बार-बार गला खराब होने पर

  • सर्दी-जुकाम से उत्पन्न गले की समस्या में

  • आवाज को मधुर, स्पष्ट और मजबूत बनाने में


खुराक (Dose)

  • वयस्क (Adult): 1–2 गोली दिन में 2–3 बार, चूसकर (माउथ में धीरे-धीरे घोलकर) लेनी चाहिए।

  • बच्चे (Children): आयु और समस्या अनुसार, वैद्य की सलाह से ही देना उचित है।

  • इसे पानी, अदरक के रस या शहद के साथ भी लिया जा सकता है।


आयुर्वेद में उल्लेख

आयुर्वेदिक ग्रंथों में इस औषधि का उल्लेख गले की शुद्धि, कंठ ध्वनि सुधार और स्वर संस्थान की दुर्बलता दूर करने में किया गया है। यह औषधि “कंठ्य रसायन” के रूप में जानी जाती है, जो गले को बल और मधुरता प्रदान करती है।


कंठसुधारक बटी के घटक (Ghatak)

इसमें कई औषधीय जड़ी-बूटियाँ और प्राकृतिक द्रव्य मिलाए जाते हैं, जैसे –

  • यष्टिमधु (मुलेठी) – गले को चिकनाई और ठंडक देता है

  • लवंग (Clove) – गले की खराश और सूजन दूर करता है

  • इलायची – गले की दुर्गंध और जलन कम करती है

  • पिप्पली (लॉन्ग पिप्पर) – बलगम और खांसी में लाभकारी

  • दालचीनी – संक्रमण कम करने और स्वाद सुधारने में

  • कपूर, सुगंधित द्रव्य – शीतलता और आराम प्रदान करते हैं


संभावित नुकसान (Nuksan)

  • अधिक मात्रा में लेने पर गला और अधिक सूख सकता है।

  • अधिक सेवन से पेट में जलन या एसिडिटी हो सकती है।

  • जिन लोगों को किसी घटक (जैसे कपूर, लवंग) से एलर्जी हो, उन्हें इसका सेवन नहीं करना चाहिए।

  • गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को चिकित्सक की सलाह के बिना इसका सेवन नहीं करना चाहिए।


सेवन विधि (Sevan Vidhi)

  1. गोली को धीरे-धीरे चूसना चाहिए, निगलना नहीं।

  2. सेवन के दौरान ठंडी चीज़ें, कोल्ड-ड्रिंक, आइसक्रीम आदि से परहेज़ करें।

  3. बेहतर परिणाम के लिए गुनगुना पानी पीते रहें।

  4. अधिक आवाज़ पर जोर न डालें और धूल-धुएं से बचें।


निष्कर्ष:

कंठसुधारक बटी आयुर्वेद में एक प्रसिद्ध औषधि है जो गले को स्वस्थ और स्वर को मधुर बनाए रखने में सहायक है। यह प्राकृतिक जड़ी-बूटियों से बनी होती है और सही मात्रा में लेने पर सुरक्षित है। लेकिन, किसी भी समस्या में लंबे समय तक उपयोग से पहले विशेषज्ञ वैद्य की सलाह अवश्य लें।


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