Kankayan Vati (कनकायन बटी): उपयोग, फायदे, नुकसान और सेवन की पूरी जानकारी

कनकायन बटी (Kankayan Vati)की पूरी जानकारी

कनकायन बटी क्या है?

कनकायन बटी एक प्रसिद्ध आयुर्वेदिक औषधि है जो विशेष रूप से अर्श (बवासीर), भगंदर, उदर रोग और पाचन संबंधी विकारों के उपचार में प्रयोग की जाती है। यह हर्बल-खनिज संयोजन है जिसमें कई शक्तिशाली द्रव्य मिलाकर बनाई जाती है। इसे पारंपरिक आयुर्वेदिक ग्रंथों में बवासीर एवं गुदा रोगों की प्रमुख दवा बताया गया है।


कनकायन बटी के उपयोग (Upyog)

कनकायन बटी के कई चिकित्सीय उपयोग हैं, जैसे—

  1. अर्श (Piles) – रक्तस्रावी और अरक्तस्रावी दोनों प्रकार की बवासीर में लाभकारी।

  2. भगंदर (Fistula-in-ano) – फोड़ा, फुंसी और गुदा से संबंधित संक्रमण में सहायक।

  3. उदर रोग (Abdominal Disorders) – पेट फूलना, अपच और कब्ज की समस्या में उपयोगी।

  4. आमविकार (Toxic conditions) – शरीर से विषैले पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करती है।

  5. गुदा पीड़ा – गुदा में होने वाले दर्द और सूजन को कम करने में सहायक।


आयुर्वेद में उल्लेख (Ayurved me Ullekh)

आयुर्वेदिक ग्रंथों जैसे भैषज्य रत्नावली और चरक संहिता में अर्श व भगंदर रोग के प्रबंधन में कनकायन बटी का वर्णन मिलता है। इसे “अर्श हर योग” और “भगंदर नाशक योग” में प्रमुख औषधि बताया गया है।


कनकायन बटी के घटक (Ghatak/Ingredients)

इस बटी में प्रमुख जड़ी-बूटियाँ और द्रव्य मिलाए जाते हैं, जिनमें—

  • चित्रक (Plumbago zeylanica)

  • हरितकी (Terminalia chebula)

  • पिप्पली (Piper longum)

  • दंती मूल (Baliospermum montanum)

  • सुंठ (Zingiber officinale)

  • काली मिर्च (Piper nigrum)

  • विडंग (Embelia ribes)

  • हिंग (Asafoetida)

  • त्रिकटु चूर्ण

  • भस्म (कभी-कभी यौगिक रूप में)

इनका संयोजन इसे दीपन-पाचन, वात-कफ शामक और अर्श-नाशक बनाता है।


खुराक (Dose)

  • वयस्क (Adult): 1–2 गोली दिन में दो बार, गुनगुने पानी या छाछ के साथ।

  • अवधि: चिकित्सक की सलाह अनुसार 2–4 सप्ताह तक।

  • विशेष: लंबे समय तक सेवन केवल आयुर्वेदिक चिकित्सक की देखरेख में करें।


नुकसान (Side Effects / Nuksan)

सही खुराक में यह सुरक्षित है, लेकिन अधिक मात्रा में या बिना परामर्श के सेवन करने पर कुछ दुष्प्रभाव हो सकते हैं—

  • पेट में जलन या दस्त

  • अधिक बार शौच लगना

  • कमजोर व्यक्तियों में कमजोरी

  • गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए परामर्श आवश्यक


सेवन विधि (Sevan Vidhi)

  1. भोजन के बाद गुनगुने पानी, छाछ या मट्ठे के साथ लेना उत्तम है।

  2. कब्ज की समस्या हो तो त्रिफला चूर्ण या किसी हल्के रेचक औषधि के साथ ले सकते हैं।

  3. चिकित्सक की निगरानी में ही लें ताकि सही मात्रा और अवधि निर्धारित की जा सके।


निष्कर्ष

कनकायन बटी आयुर्वेद की एक शक्तिशाली और प्रमाणित औषधि है, जो बवासीर, भगंदर और पेट से संबंधित विकारों में अत्यंत लाभकारी मानी जाती है। इसका सेवन करने से पहले आयुर्वेद चिकित्सक की राय लेना आवश्यक है ताकि सही खुराक और समय का निर्धारण किया जा सके।


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