Chandraprabha Vati (चंद्रप्रभा बटी): फायदे, उपयोग, मात्रा, नुकसान और सेवन विधि

🌿 चंद्रप्रभा बटी (Chandraprabha Vati) – संपूर्ण जानकारी

🟢 चंद्रप्रभा बटी क्या है?

चंद्रप्रभा बटी आयुर्वेद की एक प्रसिद्ध बहुमूल्य औषधि है, जिसे विशेष रूप से मूत्र रोग, प्रजनन तंत्र के रोग, स्त्री रोग, मधुमेह, शरीर की कमजोरी और वात-पित्त-कफ संतुलन के लिए उपयोग किया जाता है।

यह एक हर्बो-मिनरल (जड़ी-बूटी और खनिज मिश्रित) औषधि है। इसके सेवन से शरीर को शक्ति, स्फूर्ति और मानसिक शांति मिलती है।


🌿 चंद्रप्रभा बटी के प्रमुख उपयोग (Upyog)

  1. मूत्र रोगों में लाभकारी – मूत्र में जलन, बार-बार पेशाब आना, मूत्र रुक जाना (Urinary retention) आदि।

  2. मधुमेह (Diabetes) में उपयोगी – शुगर स्तर को नियंत्रित करने में मदद करती है।

  3. स्त्री रोग – श्वेत प्रदर (Leucorrhoea), माहवारी की अनियमितता और अधिक रक्तस्राव में लाभकारी।

  4. पुरुष रोग – वीर्य की कमी, स्वप्नदोष, प्रोस्टेट ग्रंथि की सूजन, यौन दुर्बलता।

  5. गठिया व वात रोग – जोड़ों के दर्द और सूजन को कम करती है।

  6. त्वचा रोग – खुजली, दाद, फोड़े-फुंसी व अन्य त्वचा विकारों में सहायक।

  7. किडनी स्टोन (पथरी) – पथरी और किडनी संबंधित समस्याओं में लाभदायक।

  8. सामान्य उपयोग – शरीर की थकान, कमजोरी, सूजन, पाचन सुधार और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सहायक।


📖 आयुर्वेद में उल्लेख

  • चंद्रप्रभा बटी का उल्लेख आयुर्वेद के रस-शास्त्र और भैषज्य रत्नावली में मिलता है।

  • इसे त्रिदोषनाशक औषधि माना गया है, जो शरीर में वात, पित्त और कफ को संतुलित करती है।

  • इसका नाम “चंद्रप्रभा” इसलिए रखा गया है क्योंकि इसके सेवन से मन और शरीर को चंद्रमा की तरह शीतलता व शांति प्राप्त होती है।


🧪 चंद्रप्रभा बटी के घटक (Ingredients / Ghatak)

चंद्रप्रभा बटी में लगभग 37 से अधिक औषधीय घटक होते हैं। मुख्य घटक इस प्रकार हैं:

  • गुग्गुल

  • शिलाजीत

  • त्रिफला (आंवला, हरड़, बहेड़ा)

  • त्रिकटु (सौंठ, काली मिर्च, पिपली)

  • दारुहल्दी

  • चंद्र (कपूर, चंदन)

  • वाचा

  • एलायची

  • नागरमोथा

  • विदंग

  • दालचीनी

  • तेजपत्ता

  • शर्करा आदि

इन सभी औषधियों के संयुक्त प्रभाव से यह बटी मूत्रविकार, स्त्री रोग और मधुमेह जैसी बीमारियों में अत्यंत उपयोगी बनती है।


💊 चंद्रप्रभा बटी की खुराक (Dose)

  • वयस्क (Adult): 1 से 2 गोली, दिन में 2 बार

  • बच्चे (Children): ½ गोली, दिन में 2 बार (केवल वैद्य की सलाह पर)

  • सेवन विधि: गुनगुने पानी, दूध या उचित काढ़े (जैसे गुडुची काढ़ा) के साथ लें।


⚠️ चंद्रप्रभा बटी के दुष्प्रभाव (Nuksan / Side Effects)

सामान्यत: यह सुरक्षित है, लेकिन अधिक मात्रा या बिना वैद्य की देखरेख में सेवन करने से कुछ हानियाँ हो सकती हैं:

  • अत्यधिक सेवन से रक्तचाप कम हो सकता है।

  • अधिक मात्रा से पाचन में गड़बड़ी (मतली, उल्टी, दस्त) हो सकती है।

  • गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को बिना चिकित्सक की सलाह के इसका सेवन नहीं करना चाहिए।

  • शुगर के मरीजों को इसका सेवन करते समय रक्त शर्करा स्तर पर निगरानी रखनी चाहिए।


✅ चंद्रप्रभा बटी सेवन विधि (Sevan Vidhi)

  1. भोजन के बाद गुनगुने पानी या दूध के साथ लें।

  2. डॉक्टर/वैद्य की सलाह से ही खुराक तय करें।

  3. मधुमेह, किडनी या हार्ट के मरीज डॉक्टर की देखरेख में ही लें।

  4. लंबे समय तक निरंतर सेवन करने से पहले चिकित्सक की राय आवश्यक है।


🌸 निष्कर्ष

चंद्रप्रभा बटी आयुर्वेद की एक बहुउपयोगी औषधि है, जो मूत्र रोग, स्त्री-पुरुष संबंधी रोग, मधुमेह, त्वचा रोग और वात-पित्त-कफ संतुलन में अत्यंत लाभकारी है। यह प्राकृतिक जड़ी-बूटियों और खनिजों से बनी होने के कारण शरीर को ऊर्जा और शांति दोनों प्रदान करती है। लेकिन इसका सेवन हमेशा वैद्य की सलाह अनुसार ही करना चाहिए ताकि कोई नुकसान न हो।


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