Bridhi Arshoghni Bati (बृद्धि अर्शोघ्नी बटी) फायदे, उपयोग, मात्रा, नुकसान और सेवन विधि – सम्पूर्ण जानकारी

बृद्धि अर्शोघ्नी बटी (Bridhi Arshoghni Bati)

🔹 बृद्धि अर्शोघ्नी बटी क्या है?

बृद्धि अर्शोघ्नी बटी एक आयुर्वेदिक शास्त्रीय औषधि है। इसका मुख्य उपयोग अर्श रोग (Piles/बवासीर), भगन्दर (Fistula), गुदा में सूजन व दर्द, रक्तस्राव (Bleeding) और गुदा विकारों में किया जाता है।

👉 “अर्श” = बवासीर

👉 “घ्नी” = नाश करने वाली

इस प्रकार यह औषधि बवासीर व गुदा विकारों को कम करने वाली औषधि मानी जाती है।


🔹 आयुर्वेद में उल्लेख

इसका वर्णन भैषज्य रत्नावली (अर्शरोगाधिकार), योगरत्नाकर, आयुर्वेद सार संग्रह जैसे ग्रंथों में मिलता है।

आयुर्वेद में अर्श रोग मुख्य रूप से वात, पित्त और कफ के असंतुलन से उत्पन्न होता है।

बृद्धि अर्शोघ्नी बटी को विशेष रूप से अर्श (पाइल्स) को नष्ट करने वाली औषधि बताया गया है।


🔹 प्रमुख उपयोग (Indications)

  • बवासीर (Piles – Internal & External)

  • रक्त अर्श (Bleeding piles)

  • शुष्क/दर्दयुक्त अर्श (Dry piles with pain)

  • गुदा में सूजन और जलन

  • भगन्दर (Fistula)

  • गुदा के आसपास की गांठ व पीड़ा

  • मल त्याग में कठिनाई


🔹 घटक द्रव्य (Ingredients)

निर्माता और ग्रंथानुसार इसमें थोड़े बहुत अंतर हो सकते हैं, लेकिन सामान्यतः इसमें शामिल होते हैं –

  1. शुद्ध पारा (Shuddha Parada)

  2. शुद्ध गंधक (Shuddha Gandhak)

  3. लौह भस्म (Lauh Bhasma)

  4. ताम्र भस्म (Tamra Bhasma)

  5. वंग भस्म (Vanga Bhasma)

  6. त्रिकटु (सौंठ, काली मिर्च, पिप्पली)

  7. चित्रक मूल (Chitrak)

  8. त्रिफला (हरीतकी, बिभीतकी, आंवला)

  9. गोमूत्र या नींबू रस (मर्दन हेतु)


🔹 सेवन विधि व खुराक (Dosage & Method)

  • सामान्य मात्रा: 1 से 2 गोली (250 – 500 mg) दिन में 1–2 बार

  • सेवन विधि: गर्म पानी, छाछ या बटरमिल्क (ताक), अथवा त्रिफला क्वाथ के साथ लें।

  • कब लें: भोजन के बाद

  • अवधि: 15 दिन से 2–3 महीने तक (रोग की स्थिति अनुसार)

  • सेवन हमेशा आयुर्वेदिक वैद्य की देखरेख में करना चाहिए।


🔹 फायदे (Benefits)

✔ अर्श (बवासीर) की गांठ को छोटा करने में सहायक

✔ रक्तस्राव (Bleeding piles) को रोकता है

✔ गुदा में सूजन, जलन और दर्द को कम करता है

✔ कब्ज और मल त्याग की कठिनाई को कम करता है

✔ भगन्दर (Fistula) में भी लाभकारी

✔ अग्नि को प्रदीप्त करता है और पाचन सुधारता है

✔ वात-कफ दोष का शमन करता है


🔹 संभावित नुकसान / सावधानियाँ (Side Effects & Precautions)

❌ यह रसौषधि (खनिज और धातु भस्म युक्त दवा) है, इसलिए अधिक मात्रा में सेवन हानिकारक हो सकता है।

❌ ओवरडोज़ से पेट दर्द, दस्त, उल्टी, कमजोरी, लीवर व किडनी पर असर पड़ सकता है।

❌ गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को बिना वैद्य की सलाह के सेवन नहीं करना चाहिए।

❌ छोटे बच्चों को न दें।

❌ इसे केवल आयुर्वेदिक विशेषज्ञ की देखरेख में ही सेवन करना चाहिए।


🔹 निष्कर्ष

👉 बृद्धि अर्शोघ्नी बटी बवासीर और गुदा विकारों के लिए आयुर्वेद में बताई गई प्रमुख औषधियों में से एक है।

👉 यह अर्श (पाइल्स) की गांठ, रक्तस्राव और दर्द को कम करने में मदद करती है।

👉 लेकिन इसमें धातु भस्म (Rasaushadhi) होने के कारण इसका उपयोग केवल आयुर्वेदिक वैद्य की सलाह से ही करना चाहिए।


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