अग्नितुंडी बटी (Agnitundi Vati)
🔹 अग्नितुंडी बटी क्या है?
अग्नितुंडी बटी एक शास्त्रीय आयुर्वेदिक औषधि (Classical Ayurvedic Medicine) है। यह विशेष रूप से पाचन तंत्र को मजबूत करने, अग्नि (Digestive fire) को प्रज्वलित करने, अपच, उदरशूल, वात-कफज विकारों में दी जाती है।
👉 “अग्नि” का अर्थ है पाचन शक्ति और “तुंडी” का अर्थ है वृद्धि/सुधार। इसलिए यह औषधि पाचन शक्ति बढ़ाने वाली मानी जाती है।
🔹 आयुर्वेद में उल्लेख
इस औषधि का वर्णन भैषज्य रत्नावली, योगरत्नाकर, आयुर्वेद सार संग्रह जैसे ग्रंथों में मिलता है। आयुर्वेद के अनुसार यह औषधि दीपन (Digestive stimulant), पाचन (Carminative), वात-शामक, कृमिघ्न (Anthelmintic) होती है।
🔹 प्रमुख उपयोग (Indications / Benefits)
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भूख न लगना (Loss of appetite)
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अपच, मंदाग्नि (Weak digestion)
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उदरशूल (पेट दर्द)
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अतिसार व आमातिसार (Diarrhea, Dysentery)
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अजीर्ण व कब्ज (Indigestion & Constipation)
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वातज विकार (Joint pain, शरीर में गैस से दर्द)
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कृमि (Intestinal worms)
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गले व पेट में भारीपन
🔹 घटक द्रव्य (Ingredients)
अग्नितुंडी बटी कई औषधीय पौधों और खनिज घटकों से बनी होती है। इसके मुख्य घटक इस प्रकार हैं –
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अजवाइन (Ajwain – Carum copticum)
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विदंग (Embelia ribes)
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हरीतकी, बिभीतकी, आंवला (त्रिफला)
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चित्रक (Plumbago zeylanica)
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पिप्पली, काली मिर्च, सौंठ (त्रिकटु)
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अतिविषा
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वंग भस्म, लौह भस्म
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शुद्ध हिंगु
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लाल मिर्च (लवण भस्म के साथ)
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गोमूत्र/नींबू रस (मर्दन हेतु)
🔹 सेवन विधि व खुराक (Dosage & Method)
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सामान्य मात्रा: 1–2 गोली (250–500 mg) दिन में 1–2 बार
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सेवन विधि: गर्म पानी, छाछ, या अदरक रस के साथ लेना उचित माना जाता है।
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भोजन से पहले या बाद, रोगानुसार वैद्य की सलाह से।
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अवधि: 10 दिन से 1–2 महीने तक (वैद्य की निगरानी में)
🔹 फायदे (Benefits)
✔ पाचन शक्ति को बढ़ाता है (Deepana-Pachana)
✔ भूख न लगना, गैस, अपच, कब्ज में उपयोगी
✔ कृमिनाशक (Anthelmintic) प्रभाव
✔ पेट दर्द, ऐंठन और उदरशूल में राहत
✔ आमदोष (toxins) को पचाने में सहायक
✔ वात और कफ दोष का शमन करता है
🔹 संभावित नुकसान / सावधानियाँ (Side Effects & Precautions)
❌ अधिक मात्रा में सेवन करने पर जलन, दस्त, उल्टी, चक्कर, हृदयगति तेज होना जैसी समस्याएँ हो सकती हैं।
❌ इसमें लाल मिर्च, अजवाइन, हिंगु, त्रिकटु जैसे तीक्ष्ण द्रव्य होते हैं, इसलिए अधिक सेवन हानिकारक हो सकता है।
❌ गर्भवती व स्तनपान कराने वाली महिलाएं, छोटे बच्चों को बिना वैद्य की सलाह के न दें।
❌ पेट में अल्सर या अधिक अम्लता वाले रोगियों को सावधानी से प्रयोग करना चाहिए।
❌ यह दवा केवल चिकित्सक की देखरेख में ही लेना उचित है।
🔹 निष्कर्ष
👉 अग्नितुंडी बटी एक उत्तम आयुर्वेदिक औषधि है जो भोजन की पाचन शक्ति बढ़ाती है, भूख खोलती है और गैस, अपच, कृमि आदि विकारों में लाभकारी है।
👉 इसका प्रयोग हमेशा वैद्य की सलाह से उचित मात्रा में ही करना चाहिए क्योंकि इसमें तीक्ष्ण द्रव्य और खनिज सम्मिलित हैं।
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